वन्‍दे मातरम् !!!!






Monday, September 7, 2009

मृत्‍यु सूचक लक्षण

मृत्‍यु निकट आने पर हमारा शरीर कई ऐसे लक्षण प्रकट करने लगता है जिन पर यदि ध्‍यान दिया जाए तो आने वाली मृत्‍यु का आभास किया जा सकता है। जिस व्‍यक्ति की दाहिनी नासिका में एक दिन रात अखण्‍ड रूप से वायु चलती है उसकी आयु तीन वर्ष में समाप्‍त हो जाती है्, और जिसका दक्षिण श्र्वास लगातार दो दिन या तीन दिन तक निरन्‍तर चलता रहता है, उस व्‍यक्ति को इस संसार में मात्र एक वर्ष का ही मेहमान जानना चाहिए। यदि दोनों नासिका छिद्र दस दिन तक निरन्‍तर ऊर्घ्‍व श्र्वास के साथ चलते रहें तो मनुष्‍य तीन दिन तक ही जीवित रहता है। यदि श्र्वासव़ायु नासिका के दोनों छिद्रों को छोड़कर मुख से बहने लगे तो दो दिन के पहले ही उसका परलोकगमन हो जाएगा।
जब सूर्य सप्‍तम् राशि पर हों और चन्‍द्रमा जन्‍म नक्षत्र पर आ गए हों तब यदि दाहिनी नासिका से श्र्वास चलने लगे तो उस समय सूर्य देवता से अधिष्ठित काल प्राप्‍त होता है। जिसके मल मूत्र और वीर्य अथवा मल मूत्र एवं छींक एक साथ ही गिरते हैं, उसकी आयु केवल एक वर्ष और शेष है ऐसा समझना चाहिए। जो व्‍यक्ति स्‍वप्‍न में इन्‍द्रनील मणि के समान रंगवाले नागों के झुण्‍ड को आकाश में इधर उधर फैला हुआ देखता है, वह छ:महीने भी जीवित नहीं रहता। जिसकी मृत्‍यु निकट होती है, वह अरून्‍धती और ध्रुव को भी नहीं देख पाता। जो अकस्‍मात् नीले पीले आदि रंगों को तथा कड़वे, खट्टे आदि रसों को विपरीत रूप में देखने और अनुभव करने लगता है, वह छ: महीने में मृत्‍यु का ग्रास बनता है। वीर्य, नख और नेत्रों का कोना – यह सब यदि नीले या काले रंग के हो जाएं तो मनुष्‍य छठे मास में ही काल के गाल मे समा जाता है। जो मनुष्‍य स्‍वप्‍न में जल, घी और दर्पण आदि में अपने प्रतिबिम्‍ब का मस्‍तक नहीं देखता, वह एक मास तक ही जीवित रह पाता है। बुद्धि भ्रष्‍ट हो जाए, वाणी स्‍पष्‍ट न निकले, रात में इन्‍द्र धनुष का दर्शन हो, दो चन्‍द्रमा और दो सूर्य दिखाई दें तो यह सब मृत्‍यु सूचक चिन्‍ह हैं। हाथ से कान बन्‍द कर लेने पर जब किसी प्रकार की आवाज न सुनाई दे तथा मोटा शरीर थोड़े ही दिनों दुबला पतला और दुबला पतला शरीर मोटा हो जाए तो एक मास में मृत्‍यु हो जाती। जिसे स्‍वप्‍न में भूत, प्रेत, पिशाच, असुर, कौए, कुत्‍ते, गीध, सियार, गधे और सूअर इधर उधर खाते और ले जाते हैं, वह वर्ष के अन्‍त में प्राण त्‍याग कर यमराज का दर्शन करता है। जो स्‍वप्‍न काल में गन्‍ध, पुष्‍प और लाल वस्‍त्रों से अपने शरीर को विभूषित देखता है, वह उस दिन से केवल आठ मास तक जीवित रहता है। जो स्‍वप्‍न में धूल की रा‍शि, विमौट (दीमक का घर) अथवा यूपदण्‍ड पर चढ़ता है वह छठे महीने में मृत्‍यु को प्राप्‍त होता है। जो स्‍वप्‍न में अपने को तेल लगाये, मूड़ मुड़ाए देखता है और गद्हे पर चढ़े दक्षिण दिशा की ओर ले जाए हुए देखता है अथवा अपने पूर्वजों को इस रूप में देखता है उसकी मृत्‍यु छ: महीने में हो जाती है। गोस्‍वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित राम चरित मानस में उपरोक्‍त लक्षण का वर्णन रावण के विषय में पढ़ने को मिलता है।
जो स्‍वप्‍न में लोहे का डंडा और काला वस्‍त्र धारण करने वाले किसी काले रंग के पुरूष को अपने आगे खड़ा देखता है, वह तीन मास से अधिक जीवित नहीं रहता। स्‍वप्‍न में काले रंग की कुमारी कन्‍या जिस पुरूष को अपने बाहुपाश में कस ले वह एक माह में परलोक सिधार जाता है। जो मनुष्‍य स्‍वप्‍न में वानर की सवारी पर चढ़कर पूर्व दिशा की ओर जाता है वह पॉंच दिन में ही संयमनी पुरी को देखता है।
कान के नीचे की मांसल लटक मांसल होते हुए भी एक निश्चित दृढ़ता लिए हुए होती है यदि यह मांसल लटक अपनी दृढ़ता खोकर थुलथुली होकर इधर उधर ढलकने लगे तो भी मृत्‍यु तीन माह के भीतर होने का आभास निश्चित है। मृत्‍यु एक अटल सत्‍य है यह सर्वविदित् है, परन्‍तु मृत्‍यु के भी तीन प्रकार बताए गए हैं- आदिदैविक, आदिभौतिक और आध्‍यात्मिक। आदिदैविक और आदिभौतिक मृत्‍यु योगों को तन्‍त्र और ज्‍योतिषीय उपायों द्वारा टाला जा सकता है परन्‍तु आध्‍यात्मिक मृत्‍यु के साथ किसी भी प्रकार का छेड़ छाड़ संभव नहीं। महाभारत में इस प्रकार की कथा आती है कि अश्‍वत्थामा ने उत्‍तरा के गर्भ में स्थित भ्रूण को लक्षित किया तो श्री कृष्‍ण ने उसे पुन: जीवन दान दिया परन्‍तु उन्‍हीं श्री कृष्‍ण ने अपने प्रिय अर्जुन के पुत्र अभिमन्‍यु को जीवन दान नहीं दिया । अत: मृत्‍यु के लक्षण चिन्‍हों के प्रकट होने पर ज्‍योतिषीय आकलन के पश्‍चात् उचित निदान करना चाहिए।

अमित प्रजापति
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5 comments:

  1. चलिये, ये भी ठीक रहा..जानकारी का आभार.

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  2. अच्छी जानकारी, इस विषय पर बहुत ही कम जानकारी मिलती है, इस तरह की और भी जानकारी मुहैया करवाते रहें।

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  3. अद्भुत जानकारी , पहली बार पढ़ी आभार

    regards

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  4. भाई साहब ऐसी जानकारी दीजिये जो कुछ काम आये!!!
    ये लेख वो पसन्द करें जिन्हे जीवन मे कोई रुचि न रही हो!

    आईये कुछ जीवन से भरी बात करें,मौत का क्या है सबको आनी है.... जब आयेगी तब आयेगी, अब थाल सजा के खडे हो क्या उसके लिये???

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  5. Adviteeya jankaari.......... Aisa pahli baar padha. Amit ji ,, saadhuvaad..

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