विश्व की ख्याति प्राप्त बिजनेस मैगजीन ‘फोर्ब्स‘ ने मई 2013 में संसार की शक्तिशाली महिलाओं की सूची जारी की है। इस सूचि पर अगर हम
दृष्टि डालें तो हमें न सिर्फ पता चलता है कि सारे विश्व के भिन्न भिन्न क्षेत्रों
में महिलाओं का दबदबा बढ़ा है, वरन्
शीर्ष पर विद्यमान इन महिलाओं के अदम्य साहस, बुद्धिमानी, संघर्ष क्षमता, राजनैतिक
व आर्थिक प्रगति, मानव सेवा आदि
गुणों की रोचक जानकारी भी मिलती है जो सभी स्त्री पुरुषों के लिए प्रेरणादायी है।
जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने पुनः
विश्व की ताकतवर महिलाओं में शीर्ष स्थान हासिल किया। ब्राजील की राष्ट्रपति
दिल्मा राउसेफ दूसरे, अमेरिका की
प्रथम महिला मिशेल ओबामा चोथे, हिलेरी
क्लिंटन पांचवे, यू. पी. ए.
अध्यक्ष सोनिया गांधी नंवे, वा
भारत की ही इंद्रा नूयी जो कि पेप्सिको कम्पनी की सी. ई. ओ. हैं दसवें स्थान पर
काबिज हैं।
दिल्मा राउसेफ ने जनवरी 2011 को ब्राजील की प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप
में पदभार संभाला। इसके पहले वह राष्ट्रपति लूला द सिल्वा के चीफ ऑफ स्टाफ के तौर
पर कार्यरत थीं। वह एक बुल्गारियन व्यावसायी की बेटी हैं। युवावस्था में साम्यवाद
की ओर उनका रुझान बढ़ा और वह सैन्य तानाशाही के खिलाफ मार्कसिस्ट अरबन गुरिल्ला
ग्रुप में शामिल हुईं। जिसके लिए उन्हें जेल वा प्रताड़ना का सामना करना पड़ा।
स्कूली शिक्षा के दौरान ब्राजील की सैन्य सरकार के दमन के विरुद्ध उन्होंने
सशस्त्र विद्रोह का रास्ता चुना। 46
वर्ष लंबे व संघर्षपूर्ण राजनैतिक जीवन में कभी हार न मानने वाली इस नेता को
दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं की सूची में दूसरा स्थान हासिल हुआ।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नि मिशेल
ओबामा छात्र जीवन से ही राजनीति में काफी सक्रिय रहीं। उन्होंने नस्ल भेद का सख्त
विरोध किया इसीलिए उन्हें एंग्री यंग लेडी के नाम से भी जाना जाता है। बराक ओबामा
के राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान मिशेल ने अहम भूमिका निभाई व चुनाव प्रचार में
बढ़चढ कर हिस्सा लिया। उनकी भूमिका को बराक ओबामा ने काफी सराहा। मिशेल पेशे से
वकील है। बराक ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद मिशेल एक पत्नी और माँ की भूमिका
में अपने पति का हर कदम पर साथ देते नजर आती हैं, पर साथ ही महिलाओं, बच्चों की शिक्षा, जैविक तौर तरीकों से बागवानी आदि विषयों पर लोगों में
जाकरूकता बढ़ाने हेतु अपना सक्रिय योगदान करतीं हैं। मिशेल ओबामा शक्तिशाली
महिलाओं की सूचि में चोथे स्थान पर हैं।
पांचवे स्थान पर भी अमेरिका के ही पूर्व
राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नि हिलेरी क्लिंटन हैं, जो 2008
में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार थीं।
उन्होंने बराक ओबामा के समर्थन में अपनी उम्मीदवारी छोड़ी। ओबामा के राष्ट्रपति
चुने जाने के बाद हिलेरी को सेकेट्री ऑफ स्टेट नियुक्त किया गया। इस प्रकार वह
अमेरिकी इतिहास में पहली ‘प्रथम
महिला‘ हैं जो राष्ट्रपति
केबिनेट में सेवारत हैं। हिलेरी का जीवन सफलताओं और संघर्ष का लंबा सिलसिला है। वे
अराकांसास एडवोकेट्स फॉर चिल्ड्रन्स एण्ड फेम्लीस, लीगल सर्विस कारपोरेशन, रोज लॉ फर्म, वाल्मार्ट स्टोरस आदि संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहीं।
उन्हें 1988 व 1991 में अमेरिका के 100 सबसे प्रभावशाली वकीलों में चुना गया। यह कहना
अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आगामी वर्षों में वे अमेरिका की राष्ट्रपति चुनीं जाएं,
वे सब प्रकार से इस पद के योग्य हैं ऐसा
वे अपने लंबे राजनैतिक कार्यकाल साबित कर चुकीं हैं।
नंवे स्थान पर भारतीय राजनीति की प्रमुख
शख्सियत श्री मति सोनिया गांधी हैं, जो वर्तमान में यू. पी. ए. की अध्यक्षा हैं। अपने पति राजीव गांधी की
हत्या से आहत सोनिया ने आरंभ में अपने बच्चों को भविष्य में किसी दुर्घटना से
बचाने की दृष्टि से राजनीति में आने से साफ इंकार कर दिया था। परन्तु 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस हार के पश्चात पूरी
तरह से बिखरने की कगार पर आ गई थी। जिससे कांग्रेस के नेताओं के अत्यधिक आग्रह पर
सोनिया को राजनीति में आने का फैसला करना पड़ा। सोनिया के विदेशी होने, हिन्दी व हिन्दुस्तान को न जानने, वंशवाद आदि को विपक्ष ने मुद्दा बनाकर उनका
घोर विरोध किया फिर भी सोनिया के मार्गदर्शन में कांग्रेस के नेतृत्व में यू. पी.
ए. की लगातार दो बार सरकार बनी। लगातार मुश्किल परिस्थितियों में अपनी संघर्ष
क्षमता, दृढ़ता, व कुशलता से सोनिया गांधी आज ना सिर्फ भारत की
वरन् विश्व की प्रभावशाली नेताओं में गिनी जाती हैं।
दसंवा स्थान प्राप्त भारत की ही इंद्रा नुई
पेप्सिको की अध्यक्ष व कार्यकारी निदेशक होने के साथ साथ न्यूयार्क फेडरल रिजर्व
के निदेशक बोर्ड की बी स्तर की निदेशक व अंतर्राष्ट्रीय बचाव समिति के बोर्ड की भी
सदस्य हैं। भारत अमेरिकी व्यापार परिषद की सभाध्यक्ष भी इन्हीं को चुना गया है।
इंद्रा नुई की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अर्थव्यवस्था
पर आये संकट को हल करने हेतु चर्चा के लिए इंद्रा नुई को आमंत्रित किया था।
सर्वाधिक शक्तिशाली महिलाओं की सूचि में 13 वां स्थान पाने वाली जिस ओपरा विनफ्रे को आज
दुनिया एक अमेरिकी मीडिया उद्घोषक, टॉक
शो होस्ट, प्रोड्यूसर, लेखिका, समाज सेविका आदि के रूप में जानता है, जिस ओपरा विनफ्रे को अमेरिका की महत्वपूर्ण व
लोगों को प्रभावित करने वाली जबरदस्त शख्सियत के रूप में जाना जाता है, जिस ओपरा विनफ्रे को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक
ओबामा के लिए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सर्वाधिक जन समर्थन जुटाने वाली
सेलीब्रिटी माना गया, उस ओपरा
विनफ्रे के जन्म से युवावस्था तक के आरंभिक दिन बड़े कष्ट, संघर्ष व मर्मान्तक पीड़ा से भरे गुजरे। विनफ्रे का
जन्म मिसिसिप्पी के एक अत्यधिक पिछड़े गाँव में एक कुवांरी माँ के यहाँ हुआ। नौ
वर्ष की उम्र में विनफ्रे बलात्कार का शिकार हुईं, 14 वर्ष की उम्र में गर्भवती हुईं व उनका बच्चा गर्भ में
ही मर गया, परन्तु हिम्मत न हारने
वाली इस महिला ने अपनी पढ़ाई के साथ साथ रेडियो उद्घोषक के रूप में अपने कैरियर की
शुरुआत की और सफलता की सीढि़हाँ चढ़ना शुरु की। आज ओपरा व्यावसायिक रूप से तो
सर्वाधिक सफल शख्सियतों में शुमार हैं ही समाज सेवा के क्षे़त्र में भी अग्रणी
भूमिका निभातीं हैं, वर्ष 2010 में उन्होंने सर्वाधिक 4 करोड़ अमेरिकी डाॅलर दान किए। उनकी संस्था
ओपरा विनफ्रे फाउंडेशन महिलाओं एवं बच्चों की बेहतरी, कुपोषण व भुखमरी मिटाने, शिक्षा आदि के क्षेत्र में कार्यरत है।
29 वें स्थान पर बर्मा की ‘आंग सान सू की‘ हैं जिन्होंने दमनकारी सैन्य शासन को उखाड़ फेंकने व
लोकतंत्र की स्थापना हेतु अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। पिछले 21 वर्षों में से 15 वर्ष उन्होंने नजर बंदी में काटे हैं। कैंसर से
पीडि़त पति से उन्हें मिलने नहीं दिया गया यहाँ तक कि मृत्यु के समय भी उन्हें पति
से नहीं मिलने दिया गया। उनके बच्चे भी उनसे दूर ब्रिटेन में पले बढ़े। 2008 में चक्रवात नरगिस से आई तबाही में छतिग्रस्त
हुए उनके घर को मरम्मत की इजाजत नहीं दी गई। सू की के नेतृत्व में लोकतंत्र की
मांग कर रही बर्मा की जनता के आंदोलन को सैन्य सरकार ने बुरी तरह कुचला, इस आंदोलन में 10000 से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सू की
को देश छोड़कर जाने व राजनीति से दूर होने के लिए तरह तरह के प्रलोभन दिए गए पर वह
टस से मस नहीं हुईं। सू की के लगातार बढ़ते राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव के
चलते सैन्य सरकार को चुनावों की घोषणा करनी पड़ी। बंदी होने के बावजूद उनकी पार्टी
एन एल डी ने 485 में से 392 पर विजय पाई। परंतु मिलिट्री रिजीम ने इस
चुनाव परिणाम को मानने से इंकार कर दिया और सू की को 1995 तक नजर बंद करके रखा गया। सू की के लोकतंत्र की
स्थापना हेतु किए गए शांतिपूर्ण संर्घष व बलिदान के लिए नोबेल पुरुस्कार से
सम्मानित किया गया। उनका संर्घष अभी भी जारी है, उन्होंने घोषणा की है कि आगामी चुनाव में वे उम्मीदवार
के रूप में खड़ी होंगी।
37 वे स्थान पर विश्व की सर्वाधिक सुंदर महिलाओं
में से एक एंजेलिना जोली, अमेरिकी
अभिनेत्री, फिल्म निर्देशिका व लेखिका
होने के साथ साथ प्रसिद्ध समाज सेवी भी हैं। वे संयुक्त राष्ट्र संघ की शरणार्थी
ऐजेंसी की सदभावना राजदूत हैं। अपने पिता जॉन वोइट के साथ बाल कलाकार के रूप में
अभिनय कैरियर शुरू करने वाली एंजेलिना ने हॉलीवुड की कई महत्वपूर्ण व ख्याति
प्राप्त फिल्मों में काम किया। इन्हें एक्शन भूमिकाओं के लिए खास तौर पर सराहा
गया। माता पिता के वैवाहिक संबंध विच्छेद का एंजेलिना के किशोर मन पर अत्यधिक
दुष्प्रभाव पड़ा जिसके चलते उनकी किशोर व आरंभिक युवावस्था मानसिक अवसाद व एकाकीपन
का शिकार हुई। जिससे बाहर निकलने के लिए उन्होंने हर संभव अच्छे बुरे प्रयास किए।
वे अपने साथ कई चाकू रखा करतीं थीं व अपने को धाव भी लगा लेतीं थीं, सभी तरह के नशीले ड्रग्स यहाँ तक कि हेरोइन भी
उन्होंने इस्तेमाल की। जीवन के इस निराशाजनक दौर से बाहर निकलने में उन्हें अभिनय
कार्य ने ही आत्मिक मार्गदर्शन दिया व इन्होंने स्वयं को सफल कलाकार के रूप में
स्थापित किया।
45 वें स्थान पर 27 वर्षीय लेडी गागा न सिर्फ फोर्ब्स की सूचि में स्थान
बनाने वाली सबसे कम उम्र की महिला हैं वरन् वर्ष 2012-13 में 30
वर्ष से कम उम्र में सर्वाधिक कमाई करने वाली हस्तियों की सूचि में प्रथम स्थान पर
रहीं। न्यूयार्क की साधारण सी बस्ती में जन्मीं लेडी गागा आज अमेरिका वा संयुक्त
राष्ट्र संघ द्वारा संचालित कई चेरेटी केम्पेनों से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।
आई.सी.आई.सी.आई. बैंक की मुख्य कार्यकारी
अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर भारत की सबसे शक्तिशाली महिला कारोबारी व
विश्व की 65 वीं सबसे शक्तिशाली
महिला हैं। चंदा कोचर के नेतृत्व में आई सी आई सी आई बैंक ने जुलाई 2000 से रिटेल क्षेत्र में फायनॉन्स का काम शुरू
किया और देश के प्रमुख रिटेल फायनान्सर होने का दर्जा प्राप्त किया।
भारत की ही किरण मजूमदार शाह ने 85 वां स्थान पाने का गौरव प्राप्त किया। किरण
मजूमार शाह ने मात्र 10,000 रू
की पूंजी से आयरलैंड की बायोकॉन बायोकैमिकल्स लिमिटेड के साथ मिलकर बायोकॉन
इण्डिया की शुरूआत की। आज इस कॅम्पनी के सर्वाधिक 40 प्रतिशत शेयर किरण के पास हैं व वह देश की सबसे धनी
महिला उद्मी हैं। उद्योग एवे चिकित्सीय शोध व समाजसेवा के क्षेत्र में किरण जी के
योगदान को देखते हुए भारत सरकार इन्हें पद्म श्री व पद्म भूषण से समानित कर चुकी
है।
संसार की इन सौ शक्तिशाली महिलाओं की सूचि में
आठ राष्ट्राध्यक्ष, कई
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की सी.ई.ओ., राजनीतिज्ञ, कलाकार,
लेखिका, समाजसेवी व संयुक्त राष्ट्र संघ की महत्वपूर्ण
पदाधिकारी हैं। फोब्र्स के अनुसार ये महिलाएँ केवल पैसे और ताकत की दम पर इस मुकाम
तक नहीं पहुँची हैं, बल्कि
विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों तक अपनी पहुँच और प्रभाव बना कर इन स्थानों को हासिल कर
पाईं हैं। इन महिलाओं की औसत आयु 54
वर्ष है व 42 खरब डॉलर से भी
अधिक की संपत्ति पर इनका नियंत्रण है। सूचि में लेडी गागा सबसे कम उम्र की महिला
हैं व 87 वर्षीय रानी एलिजाबेथ
द्वित्तीय सबसे अधिक उम्र की महिला हैं। फोर्ब्स वुमन की अध्यक्ष एवं प्रकाशक
मोइरा फोर्ब्स के कहे अनुसार ‘‘फोर्ब्स की यह सूचि दर्शाती है कि महिलाएँ न
सिर्फ विभिन्न रास्तों से सत्ता तक अपनी पहुँच बना रहीं हैं बल्कि इनमें से कुछ
महिलाएँ देश का नेतृत्व कर रहीं हैं तो कुछ वर्तमान समस्याओं के समाधान हेतु
रणनीति बना रहीं हैं।’’
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